रंगमंच
कोई बहुत ख़ुश है
कोई हर तरफ से दुखी
किसी के सपने अधूरे
किसी के सपने पूरे
किसी को स्वप्न देखने का
नहीं मिला अधिकार
क्या यही जीवन है?
और उसकी अनवरत यात्रा
कोई चला जा रहा
मंजिल की तरफ
किसी से मंजिल बहुत दूर
किसी को मंजिल का पता ही नहीं
इस यात्रा में
कोई चढ़ गया
कोई रह गया
जीवन भले ही खत्म न हुआ हो
फिर एक और प्रयास , रुककर , थमकर, समझकर , पर मंजिल तक पहुंचना तो है , जैसे भी हो ,
असंभव कुछ भी नहीं
लोग चलते जा रहे हैं ,रास्ते भले अलग अलग हों
गंतव्य एक है ,
सफलता
सफलता और बस सफलता
बस जारी रहे ,ईमानदारी और प्रयास
फिर क्यों निराश
फिर क्यो?
रंगमंच पर अपना अपना
कुशल अभिनय ,अपनी हिस्सेदारी
ईश्वर का शुक्रिया , हर सूरज के साथ
पर्दा गिरता है ,
सभी पात्रों के मुकुट और मुखौटे , झोले में
रंग उतरा ,
धुला ,
मित्र शत्रु ,देव दानव
सब एक
सब अपने घर एक पिता के घर।