” रंगमंच “
डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
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फेसबुक एक विशाल रंगमंच बन गया और हम उसके कलाकार ! इसमें हमारा कोई ओडीसन नहीं होता ना सिलेक्शन ! बस हमलोग अपना आवेदन भेज देते हैं और हमें फेसबुक के अन्य कलाकारों की स्वीकृति से हम भी इस रंगमंच के कलाकारों की सूची में शामिल हो जाते हैं ! अभिनय की बात तो दूर रही …वर्षों तक उनको देखने को तरसते रहते हैं ..उनके आवेदन को ही हमें निहारना पड़ता है !…. प्रोफाइलों को जब हम उलट पलट कर देखते हैं तो निराशा ही हाथ लगती है …योग्यता …उम्र …अता-पता …क्या करते हैं …आपकी अभिरुचि क्या है ..कौन से अभिनय के महारथी हैं …इसका जिक्र हमें नहीं मिल पाता है ! और जब कभी हमारी जिज्ञासा हो यह जानने की तो मजाल है कि हमारे पत्रों के जवाब दे दें ? बस उन्हें अंगूठा दिखाना आता है वो भी जब उनकी नींद खुलेगी तब !….. पर ऐसे कलाकारों की बेसुमार भीड़ ना जाने अचानक रंगमंचों के तरफ क्यों उमड़ने लगती है यदा कदा ?…पता चलता है ये कलाकार अभिनय प्रदर्शन के लिए नहीं पहुंचे हैं ..दरअसल आज इनका “जन्म दिन ” जो है ! बस बधाई की चाह इन्हें यहाँ खीच लायीं हैं ..इसके बाद फिर ना जाने कहाँ भूमिगत हो जायेंगे कहना मुश्किल !….. लाख सर्जिकल स्ट्राइक कर लें पर ये तो बंकरों में से निकलने बाले नहीं !..हाँ ..कभी कभी निकल कर ऐसी संक्षिप्त टिप्पणियाँ लिख डालेंगे जैसे युध्य भूमि में स्नेप शूटिंग कर रहें हों ! …वो तो भला हो फेसबुक के संवेदनशील कलाकारों का जो इन रंगमंचों को सजीव बना कर रखा है !…. अपने विचारों ,””अभिनय कौशलता ….,गायन कलाओं ,….गीतों ,…..संगीतों ,अपनी लेखनिओं से इन रंगमंचों के कार्यक्रमों को सुचारू रूप चलाया …चलाते हैं ..और चलाते रहेंगे ! …..कलाकार हमें खुद बनना होगा ..अन्यथा लोग हमें इन रंगमंचों से निकाल फेंकेंगे !-धन्यवाद !
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डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
एस ० पी ० कॉलेज रोड
दुमका
झारखण्ड