रंगत इंसान के
किसे पता कितने रूप है बेईमान के |
पैसा देख बदलती है रंगत इंसान के |
यहाँ पैसा ही सबकुछ नहीं,बात मानो ,
कीमत तय न करो अपने ईमान के |
डर लगता है सुनसान गलियों से गुजरना ,
मुश्किल है पहचान पाना चेहरा शैतान के |
माना की आज़ादी है बोलने को यहाँ ,
पर कुछ भी न बोलो सीना तान के |
धर्म ,जाति ,भाषा को लेकर न करो फसाद ,
आओ सपना साकार करे हम हिन्दुस्तान के |