यक़ीनन प्यार में फुरक़त ने मारा
विसाले-यार की चाहत ने मारा
यक़ीनन प्यार में फुरक़त ने मारा
किसी को मौत की दहशत ने मारा
हमें तो जीने की चाहत ने मारा
दिखावे की उसे आदत ने मारा
बलन्दी की उसे हसरत ने मारा
वफ़ा औ’र इश्क़ से शिकवा नहीं है
जुनूने-इश्क़ की शिद्दत ने मारा
कोई दौलत कमाने में मरा है
किसी को फिर यहाँ गुरबत ने मारा
किया महसूस जब ख़ुद ग़ल्तियों को
उसे तो उसकी ही ग़ैरत ने मारा
हुआ है फेल जब उसका जिगर भी
ज़ियादा पीने की आदत ने मारा
हटी थी सावधानी जो सफ़र में
बड़ी छोटी सी इक ग़फ़लत ने मारा
ग़मों ने रंज ने दी ज़िन्दगी है
मिरे आनन्द को उल्फ़त ने मारा
शब्दार्थ:- फुरक़त = जुदाई/वियोग
– डॉ आनन्द किशोर