योजनायें
योजनायें भले बनी, देखो कई हजार।
रहते हैं फिर भी अभी,गरीब बन लाचार।
गरीब बन लाचार,उनकी न कोई सुनता।
सभी बने बेदर्द, दुख कोई नहीं हरता।
लाख करें वे जतन, मिटती नहीं बाधायें।
चिढ़ाती उनको अब, देखो ये योजनायें।।१।।
योजनायें भले बनी, देखो कई हजार।
रहते हैं फिर भी अभी,गरीब बन लाचार।
गरीब बन लाचार,उनकी न कोई सुनता।
सभी बने बेदर्द, दुख कोई नहीं हरता।
लाख करें वे जतन, मिटती नहीं बाधायें।
चिढ़ाती उनको अब, देखो ये योजनायें।।१।।