योजक चिह्न
वर्तनी का प्रयोग
जय माँ शारदे
विराम चिह्न –1
यह आपने अपने स्कूल में पढ़ा होगा ।
कोई भी पाठ पुराना नहीं होता। पुनरावृति का आशय मात्र सीखना है। और शुद्ध लेखन हेतु यह आवश्यक है।
विगत कुछ दिनों से गद्य समूहों में देखा कि विराम चिह्नों का प्रयोग भी हम सब भूलने लगे हैं। कहाँ कोमा,कहाँ अल्पविराम कहाँ कोष्ठक आदि लगना है ?और इस कारण भाषा का सौंदर्य भी कम हो जाता है।
अतः #उद्देश्य_वही ,#सोच_नयी।यानि #सीखो_सिखाओ ।
तो आज हम पुनः एक बार चलते है भूले हुये पाठ्यक्रम की ओर।
#Punctuation:–यानि विराम चिह्न। यहाँ भी कुछ मित्र भ्रमित थे। विराम चिह्न को पूर्ण विराम समझ रहे थे। हमारी हिन्दी भाषा और उसका व्याकरण बहुत समृद्ध है।मात्र विराम चिह्न से हमारे कथन का आशय बदल जाता है।अंग्रेजी ने हमारे सभी विराम चिह्नों को ज्यों का त्यों लिया है सिर्फ पूर्ण विराम को छोड़ कर । पूर्ण विराम हेतु वहाँ (•) बिंदु का प्रयोग होता है हमारे यहाँ खड़ी पाई यानि (।)का।
अक्सर वाक्यांश में गलत स्थान पर गलत चिह्न लग जाने से बात का आशय बदल जाता है।अतः हम पहले देखते हैं कितने विराम चिह्न हैं और उनका प्रतीक क्या है —
हिन्दी में प्रचलित प्रमुख विराम चिह्न 13 हैं जो निम्नांकित हैं —
नाम चिह्न
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1-पूर्ण विराम या विराम — ( ।)
2-अर्द्ध विराम ( ; )
3-अल्प विराम ( ,)
4–प्रश्न वाचक चिह्न। (?)
5-विस्मयादिबोधक चिह्न। (!)
6-उद्धरण चिह्न। ( ” “)( ‘ ‘ )
7-योजक चिह्न। (– )
8-निर्देशक (डैश) (—–)
9-कोष्ठक। [ ( ) ]
10-हंसपद(त्रुटिबोधक) ( ^ )
11-रेखांकन। (____ )
12-लाघव चिह्न (०)
13-लोप-चिह्न। ( ……… )
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1– इस चिह्न का प्रयोग वाक्य पूरा होने पर किया जाता है।
2–दूसरे चिह्न का प्रयोग जहाँ पूर्ण विराम की अपेक्षा कम देर और अल्प विराम की अपेक्षा अधिक देर रुकना हो वहाँ प्रयोग करते हैं। आम तौर पर अर्द्ध विराम दो उपवाक्यों को जोड़ता है जिन्हें ‘#और’ से नहीं जोड़ा जा सकता;
जैसे —फलों में आम को सर्वश्रेष्ठ माना गया है ;किंतु श्रीनगर में और ही किस्म के फल विशेष रूप से पैदा होते हैं।
3-अल्पविराम, जिसे हम कॉमा (Comma) नाम से जानते हैं।इसका प्रयोग अर्द्ध विराम की तुलना में कम देर रुकना हो वहाँ प्रयोग किया जाता है ।
#विशेष। –
✍जब एक ही प्रकार के कई शब्दों का प्रयोग होता है तब अल्पविराम लगाया जाता है,लेकिन अंतिम शब्द से पहलै ‘और’ का प्रयोग होता है।
?जैसे –भूमि अपनी मर्यादा, शर्म,प्रतिष्ठा,और मान सब भूल बैठी।
✍वाक्यांश या उपवाक्य को अलग करने हेतु ।
?जैसे –कोरोना के कारण , मै समझती हूँ, परिवेश बहुत प्रभावित होगा।
✍कभी -कभी संबोधन सूचक शब्द के बाद भी ।
?जैसे -मनु, इधर आओ । आरवी,उधर जाओ ।
✍शब्द युग्म में अलगाव दिखाने के लिए।
?जैसे -आप और हम, पाप और पुण्य, सच और झूठ।
✍पत्र के प्रारंभ में संबोधन के बाद ।
?जैसे मान्यवर, पूज्य पिता जी, आदरणीय सर ।
✍क्रियाविशेषण वाक्यांशों के बाद भी
?जैसे -महात्मा बुद्ध ने, मायावी जगत के दुख देख, तप प्रारंभ किया।
✍समुच्चय बोधक शब्दों से पूर्व भी
जैसे –आज मैं बहुत थकी हूँ,विश्राम करना चाहती हूँ।
✍तारीख के साथ माह का नाम लिखने के बाद
सन्,संवत् के पहले भी इसका प्रयोग होता है।
? जैसे -अक्टूबर , सन् 1869 ई० को गाँधी जी का जन्म हुआ।
✍कुछ शब्दों की पुनरावृति होने एवं शब्द विलुप्त होने पर भी इसका प्रयोग होता है।
?जैसे -भागो,भागो आग लग गयी।
दौड़ो दौड़ो, उसे बचाओ।
?✍मैं कब लौटूँगी, कह नहीं सकती (यहाँ ‘यह’शब्द विलुप्त है।)
?✍मैं जो कहती हूँ , ध्यान से नहीं सुनते।(‘उसे’ विलुप्त है।)
✍अंक लिखते समय भी अल्पविराम का प्रयोग होता है
?1,3,7, 10, 26,आदि
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आगे के चिह्नों को हम जानेंगे अगले अंक में ।
मनोरमा जैन पाखी