योग पर गीत
योग से पुष्ट हो जाएगा तन
योग से खिलखिलाएगा जीवन
आज बीमारियां बढ़ गई हैं
और दुश्वारियां बढ़ गई हैं
शुद्ध पानी हवा भी नहीं है
रोग हैं पर दवा भी नहीं है
योग से ही सुरक्षित है धड़कन
योग से खिलखिलाएगा जीवन
बोझ चिंताओं का हम उठाते
चैन से एक पल जी न पाते
पैर भी लड़खड़ाने लगेंगे
अपने हम खो अगर होश देंगे
योग से ही बचेगा ये यौवन
योग से खिलखिलाएगा जीवन
कितने मुश्किल में हैं आज अपने
टूट जायें नहीं बाल सपने
बन्द कमरे में होती पढ़ाई
भागने दौड़ने की मनाई
योग से चहचहायेगा बचपन
योग से खिलखिलाएगा जीवन
21-06-2021
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद