योगी चालीसा
….
?योगी चालीसा?
दो०
योगी अपने कर्म से,सदा करो प्रकाश।
जन जन में अब न्याय की,जगी है अनुपम आस।।
??चालीसा??
जय जय योगी धर्म प्रकाशा,
यूपी में आप जगाये आशा।
कीचड़ में तुम कमल खिलाये,
जन जन के मन को हरसाये।।
बूचड़खाना बंद कर दीन्हा,
प्रथम पुनीत कर्म यह कीन्हा।
गौ माता के प्राण बचाये,
जब से आप गद्दी पर आये।।
बहन बेटिया हुई सुरक्षित,
घर बाहर वे रहती इक्षित।
इन पर जो कोई नज़र उठावे,
आप तुरत ही सबक सिखावे।।
एंटी रोमियो गठन कराये,
अनुशासन जन जन को सिखाये।
हर बेटी के बने हो भ्राता,
बहन बेटियां या हो माता।।
जाति धर्म का भेद मिटावे,
इक स्वर में सब जन अपनावै।
हर दफ्तर पल में चमकाये,
जब से आप यूपी में आये।।
हलधर के मन ख़ुसी समाये,
कर्ज माफ के खबर जो पाये।
भगवा चोला खद्दर धारी,
जन जन हित योगी उपकारी।।
सबके साथ विकाश का नारा,
यह संकल्प आपका प्यारा।
दंगा बंद तुरत कर दीन्हा,
पाप कर्म पल में हर लीन्हा।।
योगी योग शिखाने वाले,
हर कुकर्म पर लगा दो ताले।
तीन तलाक का अद्भुत नारा,
मुस्लिम माँ को दिये सहारा।।
प्रभु राम का स्वप्न हो पूरा,
अब मंदिर न रहे अधूरा।
तंबू में बहु वर्ष बिताये,
राजतिलक की बार अब आये।।
नित नियमित तुम पावन नायक,
गोरखनाथ जी हुए सहायक।
गुरु सेवा में निशदिन रहते,
देश प्रेम रग रग में बहते।।
देख देख कर आपकी निष्ठा,
हर हिन्दू की बढे प्रतिष्ठा।
योगी योगी सब जान गावे,
जब आदित्य सा चमक वे पावे।।
युवा वाहिनी के तुम पालक,
धन्य आनंद सावित्री के बालक।
मात पिता के साथ हो त्यागे,
भारत माँ हित बने अभागे।।
जो यह पढ़े योगी चालीसा,
निरत देशहित बढे लालसा।।
मदन कहत है निज कर जोरी,
भाव बहुत पर शब्द है थोरी।।
साहब मार्केट में नया है जल्दी शेयर करो..