योगी आदित्यनाथ के प्रति आस्थावान रामपुर का एक दृश्य (लेख)
योगी आदित्यनाथ के प्रति आस्थावान रामपुर का एक दृश्य
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रामपुर 8 नवंबर 2021 मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी का स्टेडियम के मैदान में भाषण का कार्यक्रम दोपहर 2:30 बजे का निश्चित था । ठीक 2:30 बजे जब इन पंक्तियों का लेखक वहां पहुंचा तो सारी कुर्सियां भर चुकी थीं। लोगों का आने का सिलसिला अभी भी जारी था ।
आपस में लोग बातचीत कर रहे थे :
“चाहे जमीन पर बैठकर सुनना पड़े ,लेकिन योगी जी को सुनकर तो जरूर जाएंगे ।”
बड़ी संख्या में लोग जमीन पर बैठना शुरू हो गए ।आधी अधूरी घास थी। पंडाल भर चुका था । मंच का दर्शन दुर्लभ हो गया। कौन मंच पर बैठा है ? कौन भाषण दे रहा है ? क्या गतिविधियां चल रही हैं ?-इसका ठीक-ठीक अनुमान भी दूर से सर्वसाधारण के लिए लगा पाना असंभव था । कैमरे से दृश्य को नजदीक लाकर थोड़ा-बहुत पता चल जाता था ,किंतु यह जनता की भावनाओं को तृप्त करने के लिए अपर्याप्त था ।
मैं भी मुख्यमंत्री योगी जी के प्रशंसकों में जाकर जमीन पर बैठ गया । लोग बातचीत कर रहे थे ः
“सचमुच इन पाँच सालों में जनता के लिए काम करने वाला मुख्यमंत्री पहली बार मिला ।”
“योगी जी सन्यासी आदमी हैं। उन्हें तो केवल भगवान के लिए काम करना है ।”
“हमारा सीना तो गर्व से चौड़ा योगी जी के कारण ही हुआ है ।”
“सही बात कह रहे हो भैया ! मंदिर भी इनके कार्यकाल में ही बनना शुरू हुआ और देखो ! अयोध्या आज भव्य रामनगरी बनने जा रही है ।”
“क्या खूब शानदार दिवाली अयोध्या में मन रही है ! ऐसा लगता है जैसे भगवान राम सचमुच अयोध्या में वापस लौट आए हैं । यह सब योगी जी की कृपा से ही संभव हो रहा है ।”
यह वह जन समुदाय था जो योगी जी का भक्त था। इसे केवल समर्थक कहना सही शब्द का प्रयोग नहीं होगा । इस वर्ग को मोदी जी में और योगी जी में असाधारण आस्था है । जमीन पर पालथी मारकर बैठा हुआ यह समुदाय बिना कुछ खाए-पिए योगी जी को दोबारा प्रदेश की सत्ता में लाने के लिए उत्साहित जनसमुदाय था ।
आखिर स्टेडियम का ढका हुआ पंडाल भरने के बाद जगह खाली कितनी सी बचती है ! जब वह भी भरने लगी तो भीड़ में कुछ लोगों ने वापस लौटना शुरू कर दिया। यह क्रम 3:50 पर योगी जी के आने के बाद और भी तीव्र होने लगा। एक तरफ से जनता आ रही थी ,दूसरी तरफ से लोग मैदान से वापस निकल रहे थे ।
इतनी भीड़ के निकलने के लिए दरवाजा बहुत तंग था। इस संकरे रास्ते से वह अपार भीड़ आसानी से नहीं निकल पा रही थी जो मैदान के भीतर इकट्ठा हो चुकी थी । मैंने भी उचित समय देखकर यह सोचा कि योगी जी का भाषण दरवाजे से बाहर निकल कर आराम से सुन लूंगा अन्यथा कार्यक्रम की समाप्ति पर तो बाहर निकलने में ही बहुत समय लग जाएगा । भीड़ जो बाहर निकलना चाहती थी, उम्मीद से ज्यादा थी । लोग परिस्थितियों को भाँप रहे थे । एक के ऊपर एक अक्षरशः टूटा पड़ रहा था। मैं निश्चित रूप से कह सकता हूं कि अगर उस भीड़ में बीच में फंसा हुआ कोई भी व्यक्ति असावधानी वश गिर जाए तब उसका उठना लगभग असंभव था । अपार भीड़ के बीच मैदान से दरवाजे से होकर बाहर खुली सड़क पर आने में यद्यपि 5 या 10 मिनट लगे होंगे ,लेकिन यह एक रोमांचकारी अनुभव था ।
सड़क पर योगी जी की आवाज खूब सुनाई पड़ रही थी । वह ललकार कर राष्ट्रभक्ति का पाठ जनता को पढ़ा रहे थे । उस जनता को जो पहले से ही सुशिक्षित हो चुकी थी और जिसे योगी जी में पूर्ण विश्वास था ।
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लेखक : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा ,
रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451