” योगा शिरोमणि “
बहन मेरी जिद्दी थी
शरीर से पिद्दि थी ,
दर्शनशास्त्र में डाक्टर थी
मेरे लिए प्राक्टर थी ,
दार्शनिक बन कर नही वो मानी
उसने फिर योग करने की ठानी ,
कड़ी मेहनत कर ली शिक्षा योग की
पायी उपाधि ” योगा शिरोमणि ” की ,
गुरु की ( बिरजू महाराज ) योग गुरु बनी वो
दिमाग और शरीर के बीच हमेशा अड़ी वो ,
आज यू एन में योगा सीखाती है
और इसी में संतुष्टि पाती है ,
इसके शिष्य मुग्ध हैं इसके योग पर
वो तृप्त है अपने योग रूपी जोग पर ।
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 21/06/2020 )