ये है नामुमकिन हम बिखर जाएगे |
कौन कहता है लौट के घर जाएगे
ये है नामुमकिन हम बिखर जाएगे
जिसको जो बोलना है बोलो मगर
मुझे खुद पे यकीं है सबर जाएगे |
दिल कहता है अपने जिद पे रहो
तुम सफल हो गए घर बर जाएगे
कौन कहता है लौट के घर जाएगे |
दिल में है तमन्ना कुछ कर जाएगे
ये कभी ना समझना ठहर जाएगे
हमसे है उम्मीद किसान चाचू का
कुछ ना हम किए तो वो मर जाएगे |
मुझको यूँ ना साहब सताया करो
हो सके तो हौसला, बढ़ाया करो
एक छोटा सा बस्ती से आया हूँ मैं
कुछ उम्मीदे जगा दो हँसाया करो |
दिल कहता है अपने जिद पे रहो
तुम सफल हो गए ये खबर जाएगे
कौन कहता है लौट के घर जाएगे |
– मनीष रायटर
बेगूसराय(बिहार)