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2 Feb 2023 · 1 min read

ये ही तो है बसंत

हो गईं है सरसों जवान,
उसने पीले फूलों से ,किया है सिंगार।
मन नहीं बस में उसका,
क्योंकि उसे चढ़ा है बसंत का बुखार।

बच्चों की भी है मौज आई,
क्योंकि उन्हे मिल गया पतंग भाई।
आमों पर आने लगा है बौर,
फूलों पर आया तभी तो भौर।

महक उठा धरती का कोना कोना,
अब सभी ने बंद किया अपना रोना धोना।
बसंत लाया होठों पर रुके प्यार का नज़राना,
तभी तो युवाओं ने बसंत को दोस्त माना।

हर किसी को बसंत पर नाज़ है,
क्योंकि ये ही तो सब ऋतुओं का ताज है।
खो गई थी जो पेड़ों की हरियाली,
बसंत ने खोला हाथ और महक गई डाली डाली।

बाग बगीचे यूं सजा दिए इस ऋतुराज ने।
मानो एक मोर ने अपने पंख फैला दिए हों अपने ही अंदाज़ में।

Language: Hindi
1 Like · 182 Views
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