ये हंसी
?ये हंसी?
कोरोना का बीत गया एक साल,
न गया और ना ही खत्म हुआ यह काल,
दुबारा फैल रहा है तीव्र गति से दूसरी लहर में यह काल,
ये हंसी मुश्किल से लौटी है इसे सहेज के रखिए,
मास्क लगाना जरूरी है और दो गज की दूरी ये याद रखिए,
भले आ गया है कोरोना का वैक्सीन तुम न इतराना,
क्योंकि……..!
कोरोना का प्रवेश वैक्सीन नहीं रोकेगा,
आँख-मुँह और नाक से प्रवेश करेगा,
इसलिए…….,
बार-बार हाथ धोइए भीड़-भाड़ में कम जाइए,
हो सके कम से कम घर से बाहर जाइए,
माना कि रंगों का त्योहार भी है,
पर ध्यान रखना भी जरूरी है,
कहीं रंग में भंग न हो जाए,
खुशियों का माहौल गमगीन न हो जाए,
खुद भी सुरक्षित रहे अपनों को भी रखे,
समय को देखते सरकार के आदेशों की पालना भी रखे,
ये हंसी मुश्किल से लौटी है इसे सहेज के रखिए !!
✍️ चेतन दास वैष्णव ✍️
गामड़ी नारायण
बाँसवाड़ा
राजस्थान
स्वरचित मौलिक मेरी रचना