ये सितम अब सहा नहीं जाता
उसके दिल से गिला नहीं जाता
ये सितम अब सहा नहीं जाता
जंग होती है ज़हनो-दिल में जब
फ़ैसला क्यूँ लिया नहीं जाता
उसने पूछा है हाल कैसा है
दूर रहकर हंसा नहीं जाता
किस तरह से उसे ख़बर पहुँचे
फ़ासला अब सहा नहीं जाता
दूर रहता है आसमान में वो
चाँद मुझसे छुआ नहीं जाता
दर्द इतना है उसकी बातों में
हाल उसका सुना नहीं जाता
दर्द ‘आनन्द’ दिल का यूँ भी तो
हर किसी से कहा नहीं जाता
~ डॉ आनन्द किशोर