*ये साँसों की क्रियाऍं हैं:सात शेर*
ये साँसों की क्रियाऍं हैं:सात शेर
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1
कभी हल्की कभी मध्यम,कभी घनघोर बारिश है
हमारी ही तरह करती, ये साँसों की क्रियाऍं हैं
2
कभी बादल के आने से लगा मौसम सुहाना है
कभी लगता है यह मौसम बिगड कितना गया देखो
3
पुराने फोटुओं के साथ दिक्कत बस यही आई
समझ में यह नहीं आया,ये किसके हैं, कहाँ के हैं
4
कभी चाहता हूँ ये दुनिया, कभी चाहता हूँ वो दुनिया
कभी चाहता हूँ दौलत हो, कभी चाहता मौहब्बत हो
5
उलझ तो जाऍं दुनिया में, मगर खतरा यही है बस
कहीं सरकार से अपनी मुलाकातें न रुक जाऍं
6
बिना रिश्वत की फाइल की तरह धीमे बरसते हो
न जाने कितने दिन में जा के, बादल होगे तुम खाली
7
बहुत अन्तर है स्कूलों के बारे में विचारों में
किसी की यह इबादत है, किसी का एक बिजनेस है
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रचयिता :रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451