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1 Jan 2019 · 1 min read

” ये सब मन के ठाँव रे ” !!

रात न बदली , दिन ना बदले ,
बदल गये मन भाव रे !
झूमें , गाएँ , खुशी मनाएँ ,
ये सब मन के ठाँव रे !!

आगत के स्वागत में डूबे ,
उत्सव खूब मनाया है !
कल क्या होना बंद मुट्ठी में ,
गले आज लगाया है !
शहरों की है राह निराली ,
सोये सोये गाँव रे !!

समभाव यदि जान लिया तो ,
सुख दुख जैसे एक हैं !
धूप छाँह का खेल निराला ,
दिखे न पतली रेख है !
बरसातों में खुश तैराकर ,
हम कागज़ की नाव रे !!

बाँध पलों को करें संयोजन ,
मुस्कानों का खेल है !
पल पल जब बिखरे जाएं तो ,
हुआ गणित ज्यों फेल है !
टूटन , जकड़न , फिसलन सब कुछ ,
कहाँ ठहरते पाँव रे !!

किलकारी भर कर हँस लें हम ,
खुशहाली के गीत हों !
मतभेदों का दौर चले ना ,
ह्रदय बसी बस प्रीत हो !
नहीं पटखनी एक दूजे को ,
भूलें सारे दाँव रे !!

बृज व्यास

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 274 Views
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