ये शिक्षामित्र है भाई कि इसमें जान थोड़ी है
जो मरता है तो मरने दो कोई इंसान थोड़ी है
ये शिक्षामित्र है भाई कि इसमें जान थोड़ी है
पढ़ाता काटकर ये पेट अपना रोज वर्षों से
बहुत अहसान करता है मगर भगवान थोड़ी है
सियासत से उसे अब एक पल फुरसत नहीं मिलती
किसी के दर्द से वो हुक्मरां अनजान थोड़ी है
कि इसके वास्ते क्योंकर कोई आँसू बहायेगा
अगर ये मर गया तो राष्ट्र का नुकसान थोड़ी है
ज़माना हँस रहा ‘आकाश’ लेकिन सोचता हूँ मैं
किसी की मौत पे आ जाय वो मुस्कान थोड़ी है
– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 24/03/2022