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24 Mar 2022 · 1 min read

ये शिक्षामित्र है भाई कि इसमें जान थोड़ी है

जो मरता है तो मरने दो कोई इंसान थोड़ी है
ये शिक्षामित्र है भाई कि इसमें जान थोड़ी है

पढ़ाता काटकर ये पेट अपना रोज वर्षों से
बहुत अहसान करता है मगर भगवान थोड़ी है

सियासत से उसे अब एक पल फुरसत नहीं मिलती
किसी के दर्द से वो हुक्मरां अनजान थोड़ी है

कि इसके वास्ते क्योंकर कोई आँसू बहायेगा
अगर ये मर गया तो राष्ट्र का नुकसान थोड़ी है

ज़माना हँस रहा ‘आकाश’ लेकिन सोचता हूँ मैं
किसी की मौत पे आ जाय वो मुस्कान थोड़ी है

– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 24/03/2022

10 Likes · 4 Comments · 2304 Views

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