ये वादा रहा
सारी बंदिशों को तोड़ कर
जिंदगी के किसी मोड़ पर
मैं मिलूंगा तुमसे
ये वादा रहा ।
जब बागों में कलियां मुरझायेगी
जब चेहरे पे उदासियां छायेगी
उजड़ी हुई रातों की तन्हाई में
जब तुम्हें याद मेरी आएगी
इन घटाओं से रिश्ता जोड़ कर
मैं बरसूँगा बादलों को औढ़ कर
ये वादा रहा।
मैं जुदा तुमसे हो जाऊं
भीड़ में कहीं खो जाऊं
उठ ना पाऊं फिर कभी
नींद में ऐसी सो जाऊं
सांसो का रुख मोड़ कर
मैं आऊंगा फिर से लौट कर
ये वादा रहा ।
Rk.