ये वादा किया जान मतवारी रात में
122 + 12 2(11) + 122 + 12 2(11)
ये वादा किया जान, मतवारी रात में
कि दोनों न बिछड़ें, कभी इस हयात में
है नेमत खुदा की, ये आदम की नस्लें
नहीं कुछ भी रक्खा है, इस धर्म-ज़ात में
न परदा हटाओ, अभी रुख़ से जानाँ
कि निकले न ये दम, कहीं चाँद रात में
दिवाना करे यूँ, महक मुझको तेरी
बहक जाऊँ मैं अब तो, हर एक बात में
महब्बत की रस्में, न जाने सियासत
यहाँ शह-ओ-मात की, बिछी हर बिसात में