ये वक्त है
ये वक्त है, ये वक्त है ।
कहीं छांव है दरख्त सी
कहीं धूप की शिकस्त है
ये वक्त है, ये वक्त है।
लगता कभी अपना सा है
पल में लगे सपना सा है
न इसके मद में डूबना
कभी उदय तो कभी अस्त है।
ये वक्त है, ये वक्त है।
है किसका इस पर बस चला
इसने प्रभु को भी छला
जो वक्त के संग हो लिये
जीवन वही अलमस्त है।
ये वक्त है, ये वक्त है।
देकर कभी खुशियां बहुत
संग मुस्कुराता है खड़ा
पर कभी जब वाम होता
देता असह्य दुःख भी बड़ा
जीवन में कुछ भी चिर नहीं
सिखलाता सबको वक्त है।
ये वक्त है, ये वक्त है।
ये रात और दिन का है क्रम
सब हार जीत मन के है भ्रम
कर्म पथ पर बस चला चल
तुझमें रहे तू नित अटल
हारा नही जो वक्त से
पाता वही निज लक्ष्य है।
ये वक्त है, ये वक्त है ।