Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Apr 2021 · 2 min read

ये भेदभाव क्यों हुआ!

लोग भेदभाव करते हैं,
यह सुना करते थे!
कभी कभार देखने को भी मिला,
भेदभाव जब किया गया!.
इसे करने का उद्देश्य भी रहा,
था अपने और पराए का संदेश छिपा !

परिवारों में यह युक्ति कही भी जाती रही,
साम दाम दण्ड भेद है ऋति पुरानी,
घर के बड़े बुजुर्ग इसे हम पर आजमाते रहे,
परन्तु उनके भावों में भेदभाव नहीं छलका,
जो आज कल सत्ता के गलियारों में है दिखाई दे रहा,
अपने पराए का यह भेद भाव यहां खूब हो रहा,
मतभेदों का है यह क्रूरतम चेहरा!

अब आक्सीजन के बंटवारे में यह पक्षपात हो गया,
जहां नहीं थी अपनी राज्यसत्ता उससे हमें क्या,
यह अभी तो जताना है,
हमें क्यों नही चुना, यह बताना है,
जिन्होंने चुन लिया हमें,
उन्हें जरुरत से भी ज्यादा दिया,
जिन्होंने नकारा था हमें,
उनका हमने घटा भी दिया,
यह भेदभाव का दृश्य दिखाई भी दिया!

राज नेताओं की अब कहें क्या,
मैं अच्छा,वो निकम्मा,का सिलसिला चल पड़ा,
एक दूसरे को नीचा दिखाने का खेल खूब चला,
राष्ट्रीय आपदा पर जब हो रही थी चर्चा,
सीधा प्रसारण एक ने करा दिया,
दूसरे को जब पता चला तो वह कहने लगा,
यह तो नियमों का उल्लघंन है किया गया,
एक नहला बना रह गया,
दूसरा दहला बन गया,
अब एक दूसरे पर ठिकरा फोड़ा जा रहा,
कौन क्या बोल रहा था, कौन कैसे टरका रहा था,
यह सब लोगों को दिख गया,
यह कैसी विडम्बना आ खड़ी हुई,
सरकारें आपस में ही टकरा रही,
किसी के पास निदान नहीं रहा,
जब समय था तब उसे चुनावों पर जाया किया,
तब प्रार्थमिकता थी कैसे भी अपनी सरकार बने,
जनता की सुध तो बाद में भी ले लेंगे!

अब जब न्यायालयों ने हस्तक्षेप किया,
अब तक कर रहे थे क्या,
क्यों इस पर सोचा नहीं गया,
अब जाकर कैसे भी पूर्ति करो,
भीख मांगों, चोरी करो,
या फिर फरियाद करो,
यह सुनामी बनकर आई है,
इस पर ध्यान केन्द्रित करो!

न्यायालय इससे ज्यादा कर भी क्या सकता है,
‌कह सकता है, डांट डपट सकता है,
सोई हुई आत्मा को जगाने का प्रयास कर सकता है,
किन्तु यदि भावनाएं ही न रहे,
तो फिर क्या कर सकता है!

लोग अकाल मृत्यु को मर रहे हैं,
चाहे वह हड़बड़ी में भरें,
चाहे वह अव्यवस्थाओं से मरें,
चाहे वह लापरवाही से मरें,
चाहे बिना उपचार के मरें,
चाहे वह बिना दवा खाए मरें,
चाहे वह बिना आक्सीजन के मरें,
मरना तो आम आदमी को ही है,
चाहे वह कैसे भी मरें,
सरकारें करती रहें मतभेद,
चाहे करती रहें भेद,
किसी भी तरह से,ठीक नहीं है यह अतिरेक!!

Language: Hindi
2 Likes · 6 Comments · 1385 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Jaikrishan Uniyal
View all
You may also like:
4862.*पूर्णिका*
4862.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
यूँ तो बिखरे हैं
यूँ तो बिखरे हैं
हिमांशु Kulshrestha
वक्त का तकाजा हैं की,
वक्त का तकाजा हैं की,
Manisha Wandhare
फूल चुन रही है
फूल चुन रही है
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
अदा बोलती है...
अदा बोलती है...
अश्क चिरैयाकोटी
प्रश्न करे जब पत्रकार तो
प्रश्न करे जब पत्रकार तो
Dhirendra Singh
प्रेम।की दुनिया
प्रेम।की दुनिया
भरत कुमार सोलंकी
गर तहज़ीब हो मिट्टी सी
गर तहज़ीब हो मिट्टी सी
Abhinay Krishna Prajapati-.-(kavyash)
जीवन की निरंतरता
जीवन की निरंतरता
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
" रावन नइ मरय "
Dr. Kishan tandon kranti
गजल
गजल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
*ठाकुरद्वारा मंदिर/पंडित मुनीश्वर दत्त मंदिर में दर्शनों का
*ठाकुरद्वारा मंदिर/पंडित मुनीश्वर दत्त मंदिर में दर्शनों का
Ravi Prakash
Uljhane bahut h , jamane se thak jane ki,
Uljhane bahut h , jamane se thak jane ki,
Sakshi Tripathi
तू मेरे ख्वाब में एक रात को भी आती अगर
तू मेरे ख्वाब में एक रात को भी आती अगर
Phool gufran
जिसको दिल में जगह देना मुश्किल बहुत।
जिसको दिल में जगह देना मुश्किल बहुत।
सत्य कुमार प्रेमी
बुझे अलाव की
बुझे अलाव की
Atul "Krishn"
रक्षाबंधन एक बहन का एक भाई के प्रति सुरक्षा चक्र और विश्वास
रक्षाबंधन एक बहन का एक भाई के प्रति सुरक्षा चक्र और विश्वास
Rj Anand Prajapati
हे कृष्णा
हे कृष्णा
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
इतना भी ख़ुद में कोई शाद अकेला न रहे,
इतना भी ख़ुद में कोई शाद अकेला न रहे,
Dr fauzia Naseem shad
नीलम शर्मा ✍️
नीलम शर्मा ✍️
Neelam Sharma
नववर्ष
नववर्ष
Neeraj Agarwal
।।
।।
*प्रणय*
सत्य की खोज
सत्य की खोज
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
ताउम्र करना पड़े पश्चाताप
ताउम्र करना पड़े पश्चाताप
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
आँखों में रहा दिल में उतरकर नहीं देखा,
आँखों में रहा दिल में उतरकर नहीं देखा,
पूर्वार्थ
लाल उठो!!
लाल उठो!!
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
अमीर
अमीर
Punam Pande
यें सारे तजुर्बे, तालीम अब किस काम का
यें सारे तजुर्बे, तालीम अब किस काम का
Keshav kishor Kumar
उसने  कहा जो कुछ  तो   पहले वो
उसने कहा जो कुछ तो पहले वो
shabina. Naaz
सीता ढूँढे राम को,
सीता ढूँढे राम को,
sushil sarna
Loading...