Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Jun 2024 · 1 min read

ये बेपरवाही जंचती है मुझ पर,

ये बेपरवाही जंचती है मुझ पर,
ये बेतरतीबी बस मेरे लिए है
ये लापरवाही का दौर है मेरा,
ये है जिम्मेदारी अब तेरे हवाले

©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”

25 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
शायरी 1
शायरी 1
SURYA PRAKASH SHARMA
रिश्ते चाय की तरह छूट रहे हैं
रिश्ते चाय की तरह छूट रहे हैं
Harminder Kaur
सत्य की खोज
सत्य की खोज
dks.lhp
"लहर"
Dr. Kishan tandon kranti
प्रेम-प्रेम रटते सभी,
प्रेम-प्रेम रटते सभी,
Arvind trivedi
मुझे ऊंचाइयों पर देखकर हैरान हैं बहुत लोग,
मुझे ऊंचाइयों पर देखकर हैरान हैं बहुत लोग,
Ranjeet kumar patre
*मिलते जीवन में गुरु, सच्चे तो उद्धार【कुंडलिया】*
*मिलते जीवन में गुरु, सच्चे तो उद्धार【कुंडलिया】*
Ravi Prakash
खुदीराम बोस की शहादत का अपमान
खुदीराम बोस की शहादत का अपमान
कवि रमेशराज
सुविचार
सुविचार
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
भ्रांति पथ
भ्रांति पथ
नवीन जोशी 'नवल'
किसी की हिफाजत में,
किसी की हिफाजत में,
Dr. Man Mohan Krishna
मुकाम यू ही मिलते जाएंगे,
मुकाम यू ही मिलते जाएंगे,
Buddha Prakash
सारथी
सारथी
लक्ष्मी सिंह
मेरे स्वप्न में आकर खिलखिलाया न करो
मेरे स्वप्न में आकर खिलखिलाया न करो
Akash Agam
विजय या मन की हार
विजय या मन की हार
Satish Srijan
2662.*पूर्णिका*
2662.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
एक समय वो था
एक समय वो था
Dr.Rashmi Mishra
*
*"मां चंद्रघंटा"*
Shashi kala vyas
"रात यूं नहीं बड़ी है"
ज़ैद बलियावी
बुढ़ापा हूँ मैं
बुढ़ापा हूँ मैं
VINOD CHAUHAN
हार पर प्रहार कर
हार पर प्रहार कर
Saransh Singh 'Priyam'
चाय की घूंट और तुम्हारी गली
चाय की घूंट और तुम्हारी गली
Aman Kumar Holy
■ सियासी ग़ज़ल
■ सियासी ग़ज़ल
*प्रणय प्रभात*
सुनो ये मौहब्बत हुई जब से तुमसे ।
सुनो ये मौहब्बत हुई जब से तुमसे ।
Phool gufran
मेरी तकलीफ़ पे तुझको भी रोना चाहिए।
मेरी तकलीफ़ पे तुझको भी रोना चाहिए।
पूर्वार्थ
हम क्यूं लिखें
हम क्यूं लिखें
Lovi Mishra
vah kaun hai?
vah kaun hai?
ASHISH KUMAR SINGH
हर इक सैलाब से खुद को बचाकर
हर इक सैलाब से खुद को बचाकर
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
जिस्म का खून करे जो उस को तो क़ातिल कहते है
जिस्म का खून करे जो उस को तो क़ातिल कहते है
shabina. Naaz
कीमतें भी चुकाकर देख ली मैंने इज़हार-ए-इश्क़ में
कीमतें भी चुकाकर देख ली मैंने इज़हार-ए-इश्क़ में
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Loading...