*ये बिल्कुल मेरी मां जैसी है*
मातृत्व दिवस आयोजन
” ये बिल्कुल मेरी मां जैसी है”
माँ सबकी जगह ले सकती है लेकिन माँ की जगह कोई भी नहीं ले सकता है।
“कार्डिनल मेमीलाड”
“मां से बड़ा हमदर्द और कोई भी नहीं होता है”
“*मां की ममता का कोई भी कुछ भी मोल नहीं है।मां का प्रेम पवित्र,निश्चल भाव शक्ति शाली , सहनशील, प्रेरणा देने वाली, अद्भुत विश्वास जगाने वाली, पथ प्रदर्शक ,अडिग रहने वाली , साहसी हिम्मत देने वाली अनमोल रत्न की तरह से होती है।
ईश्वर ने जिसे बड़ी मुश्किल से जतन से सिर्फ एक ही ऐसा स्वरूप बनाया है जिसमें सभी बातों का एक साथ समावेश है।
मां सर्वगुण संपन्न है जिनके स्वरूप का बखान जितने शब्दों में किया जाए या लिखा जाए ,शब्द भंडार कम पढ़ जाएंगे वो हर पल हर घड़ी हर दिन को विशेष यादगार बना देती है।
जन्म लेते से ही मां के कोमल हाथों का स्पर्श अद्भुत स्वास्थ्यवर्धक सुखद अहसास अनुभव महसूस होता हैजब मां अपनी गोदी में लेकर लाड प्यार कर पुचकारती है तो मातृत्व सुख देने वाली अनमोल होती है।जिसे किसी कीमत पर चुकाया नहीं जा सकता है।
हम पांच भाई बहनों में मै सबसे बड़ी बेटी होने के कारण सबकी लाडली बेटी लाड प्यार दुलार मिला।
फिर धीरे धीरे छोटे भाई बहनों में लाड प्यार बंटते चला गया। मां का अद्भुत प्रेम समान रूप से ही होता है परंतु कभी कभी हमें ऐसा लगता है कि मां हमें कम प्यार दुलार करती है छोटे भाई बहनों से ज्यादा प्यार करती है क्योंकि बड़ते बच्चो को समझ में आने लगता है कि ऐसा बिल्कुल नहीं है।
छोटे भाई बहनों में लाड प्यार दुलार करने के बाद भी बड़ी बेटी होने के नाते मां हमेशा जो कुछ भी खाने का बनाती थी मेरे लिए अलग से निकाल कर रख देती थी जब भी स्कूल से वापस लौट कर आती तो गर्म खाने को देती थी।परीक्षा देने जाते समय दही शक्कर देती हम भी माता पिता का शुभ आशीर्वाद लेकर घर से बाहर जाते उन्हें सादर प्रणाम करते हुए परीक्षा देने जाते।
मां अकेले ही हम पांच भाई बहनों की उचित देखभाल करती थी घर के सारे काम भी करती उन्हें थकान महसूस होती थी तो मै बड़ी बेटी होने के कारण उनके काम में हाथ बंटाती पढ़ाई भी करती।
छोटे भाई बहनों को खिलाती उन्हें सम्हालती देखभाल करती।मां जब कभी मायके चली जाती तो घर के सारे काम करके पढ़ाई करती।
स्कूल शिक्षा के बाद कालेज पढ़ाई पूरी होते ही शादी विवाह का प्रस्ताव आ गया।सासु मां व ससुर जी मुझे देखने घर आए रिश्ता जुड़ गया।कुछ दिनो बाद शादी हो गई।
विदाई के समय मां गीत गा रही थी……
*”हंसी खुशी कर दो विदा की रानी बेटी राज करेगी….!
“बाबुल की दुआएं लेती जा, जा तुझको सुखी संसार मिले…….”
मायके की कभी ना याद आए ,ससुराल में इतना प्यार मिलें………!”
ये भावुक होकर गीत गाते हुए मुझे विदा कर रही थी।
मैं भी मां से लिपट कर रोते जा रही थी उनके गीतों को सुनकर और रोना आ रहा था।
शादी विवाह की रीति रिवाजों के साथ विदाई की घडी आ गई,मायके से विदा हो ससुराल पक्ष में नए घर में प्रवेश करते ही नई मां मिली , नए रिश्तों के बीच नए तरीके से जीवन शुरू करने की तैयारी में कुछ घबराहट सी होने लगी थी।
नए रस्मों रिवाजों के साथ गृह प्रवेश किया गया सभी परिवार बड़ों का शुभ आशीर्वाद प्राप्त हुआ।
सासु मां के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लिया उन्होंने मुंह देखने की रस्म अदायगी पूरी की , गले लगाकर मंगलसूत्र पहनाया।
शादी विवाह के रीति रिवाजों पूरे होने के बाद सासु मां ने कहा जाओ खाना खा लो। मैने कहा आज मेरा गुरुवार का व्रत है तो पूछा क्या खाती हो जो व्रत में लेती हो वह खा लो।
वही मौसी सासु मां खड़ी हुई थी उन्होंने रसोई घर में जाकर खाने पीने का लेकर आई।
गर्म दूध भी लेके आई बोली सोने से पहले पी लेना।
सभी से मिलकर ऐसा लगा मानो मै अपने मायके में ही अपनो के बीच में ही आई हूं।
गांव के पुस्तैनी घर में शादी विवाह का कार्यक्रम हुआ ,कुछ दिनो बाद शहर वाले घर में आ गए थे।
कुछ महीने तक मायके के घर की,भाई बहनों की बहुत याद आती थी तो हमारे देवर कहते थे आज से हम सभी मिलकर आपको मायके की याद नही आने देंगे।
सचमुच ऐसा प्रेम लाड प्यार दुलार मिला कि मैं मायके की याद कम ही करती …..ससुराल पक्ष वालों ने इतना प्यार दुलार दिया।
मां का वो विदाई वाला गीत याद आने लगा।
“मायके की कभी ना याद आए,ससुराल में इतना प्यार मिलें…..”
मां जैसी बिल्कुल सासु मां
पिता जैसे ससुर जी
भाई देवर जैसा
पति परमेश्वर राम जी जैसे
ननद की कमी थी लेकिन देवर जी वो पूरी कर दी,सबकी जगह ले लिए ,उनके साथ रहने के बाद सच में बहुत ही अच्छा लगता।
धीरे धीरे घर पर अच्छे से तालमेल बैठ गया था मम्मी जी याने सासु मां घर पर तरह तरह के लजीज व्यंजन ,पकवान बना मुझे भी बहुत कुछ अच्छा बनाना सिखाती।
घर गृहस्थी के अलावा अन्य बातो को भी खूब अच्छे तरीके से सिखलाया।कौन सी चीजें कैसे बनाया जाता है कितनी मात्रा में मिलाकर बनाना है ये सारे काम तरकीब बताती रहती थी। हम दोनो मिलकर रोज कुछ न कुछ नया बनाते खाते पीते।
सासु मां के जीवन जीने का सलीका बेहद खूबसूरत निराले अंदाज में बताती मै उन्हें अपना “*आदर्श गुरु”* मान ली।
सासु मां ने जीवन जीने का सलीका,हरेक बातो को
अनुभवों द्वारा दिया ज्ञान मार्ग दर्शन मुझे प्रेरणा दिया, और उत्साहित कराया । ताकि आने वाले समय मे मैं किसी भी काम में पीछे ना रहूंऔर परिवार वाले के साथ रिश्तेदारों के साथ अच्छे सोच विचार संबंध बनाए रखने की शिक्षा दी है।
ईश्वर के प्रति उनकी सच्ची श्रद्धा भक्ति भाव साधना में लीन रहते हुए कर्म करने की प्रेरणा दिया है।
कुछ भी कठिन समय में कोई साथ दे या न दे ईश्वर का नाम मंत्र जप करते हुए परीक्षा की घडी को अच्छे समय में परिवर्तन लाना ये सबसे बड़ी चुनौती का सामना करना है।
मौसी सासु मां ने भी हम सभी को बहुत लाड प्यार दुलार दिया जब भी हमसे संपर्क करती या मिलने आती कुछ न कुछ उपहार स्वरूप जरूर लेकर आती है।उनके स्नेहिल प्रेम पवित्र निश्चल भाव को देखकर खुद भी हम सभी भाव विभोर होकर उन्हें स्नेह करते हैं। सच्चे दिल से दुआ मांगती है ईश्वर की आराधना करती है। उनके लाड प्यार दुलार करने का तरीका बेहद उत्साहित व मन को शांति सुकून शक्ति ऊर्जा शक्ति से भरपूर कर देता है।
मेरी शादी होने के बाद देवर की शादी हुई देवरानी आई हम दोनों मिलकर भी नए तरीके नए अंदाज से एक साथ रहे।
कुछ महीने बाद सासु मां और ससुर जी पैतृक निवास स्थान पर रहने चले गए।बच्चों की गर्मी की छुट्टियों में हम उनके पास जाकर कुछ दिन गुजारते थे।
उन्हें भी अच्छा लगता था आने की सूचना मिलते ही घर पर खाने पीने का ढेर सारा सामान ले आते,
सभी के पसंद की नई नई चीज खाने को बनती थी।
सासु मां नए व्यंजन पकवान बनाना बताती हम सभी मिलकर बनाते बच्चे बड़े बुजुर्ग सभी चाव से स्वाद ले खाते मस्ती करते घूमते फिरते फिर वापस लौट आते थे।
सासु मां कहती कि बाहर की चीज मत खाया पिया करो घर पर ही सारी चीजें फरमाइश की बना देती हरेक व्यंजन लाजवाब स्वादिष्ट भोजन स्नैक्स पकवान बना देती।ताकि दुकान में बना मार्केट की चीजें नुकसान दायक होता है। तबियत बिगड़ जाती है।
सासु मां खाने पिलाने की शौकीन हैं हर मौसम के हिसाब से सभी चीजें बनाती खिलाती रहती।
अब उन्हें खुद कुछ मुंह में स्वाद नहीं रह गया लेकिन जो खाना बनाने का तरीका है वो आज भी दिमाग में याददाश्त बनी हुई है।
अब हम सभी मिलकर अपने परिवार सहित बच्चों को यही सिखाते हैं कि वो भी दादी मां ,नानी मां की तरह कुछ बनाए उनके द्वारा दी गई सीख को अपने जीवन में उतारे ताकि आने वाली पीढ़ी दर पीढ़ी ये बातें याद करके अपने परिवार सहित जीवन को सफल बनाने में कामयाब हो सके।
मायके में मां से जो सीखा ससुराल पक्ष वालों से सासु मां से जो शिक्षा मिली उन सभी बातों को आने वाले दिनों में बच्चों को पीढ़ी दर पीढ़ी बताते चलें।लेकिन आजकल के आधुनिक युग के बच्चो में अपनी खुद की नई तकनीक है जिससे वो बहुत ही आसान तरीका से सब कुछ कुछ देर में देखकर सीख जाते हैं।
जो बहुत बढ़िया जानकारी ज्ञान प्राप्त हो जाती है और सारी चीजें फरमाइश घर बैठे ही उपलब्ध कराई जा सकती है।
पुराने जमाने के पीढ़ियों के पास बैठकर उनके हाथो से बनाया हुआ लजीज व्यंजन पकवान लाजवाब स्वादिष्ट होता है आज भी जब अपने परिवार सहित बच्चों को लेकर गाँव जाते हैं या शहर जाते हैं तो वही पुराने जमाने का स्वादिष्ट भोजन स्नैक्स पकवान खाकर मन खुश हो जाता है और आत्मा तृप्त हो जाती है।
अब तो सारे खाने पीने की चीजों में रूचि नहीं दिखाई देती है क्योंकि मिलावटी खाद्य पदार्थ खाने पीने को मिलता है।कोई भी चीज शुद्ध नहीं होती है।
आधुनिक युग में मोबाइल फोन द्वारा गूगल सर्च करके बहुत कुछ अच्छा बनाने का तरीका सरल उपाय द्वारा बताया दिखाया जाता है कोई भी इस आसानी से हर चीज सीख सकते हैं।
आज पचास सालों बाद भी मां के हाथो से बनाया गया हर चीज लाजवाब स्वादिष्ट भोजन स्नैक्स पकवान होता है जो जुबान पर अभी भी वही स्वाद रहता है।
जन्म देने वाली मां से भी ज्यादा शिक्षा देने वाली सासु मां है जिन्होंने जीवन जीने का सलीका , हर जिम्मेदारी को निभाने का तरीका सरल शब्दों में बतलाया उनके द्वारा दी गई सीख प्रेरणा देती है । मां का लाड प्यार दुलार कम नहीं होता है।
मायके में जन्म देने वाली मां ससुराल पक्ष में शिक्षा देने वाली अनमोल सासु मां ने जीवन में जितनी भी बातें बतलाई है उसे हम अमल में लाते हुए परीक्षा की तरह से आंकलन करते हैं ताकि हमें आज पता चले कि हमने अपने परिवार में संस्कार संस्कृति ,सभ्यता , सद्व्यवहार सही तरीके से काम में लाया है या नहीं ….!
मां के हाथो से दिया गया शुभ आशीर्वाद हमेशा हमारे जीवन में बहुत ही अनमोल है जिसका मोल हम बच्चे कितने जन्मों तक भी नहीं चुका पाएंगे।
मां के चरण स्पर्श करते से ही जो आशीष या दुआएं वरदान स्वरूप मिलती है वो अदृश्य शक्ति है जो हमारे जीवन का आधार अनमोल रत्न खजाना है।
धन दौलत ,बैंक बैलेंस ,जमीन जायदाद ये सब कीमती सामान कोई किसी काम का नही है।सिर्फ मां के आशीर्वाद स्वरूप वचन ही कीमती उपहार स्वरूप जरूरी है बाकी का अन्य चीजें काम की नहीं है।
दुनिया में मां का प्रेम पवित्र निश्चल भाव शक्ति शाली सहनशील प्रेरणा देने वाली, अद्भुत विश्वास दिलाने वाली मां हर किसी को नसीब भी नहीं होती है।
मां के स्नेहिल प्रेम की कोई बराबरी भी नहीं कर सकता है।देवी देवताओं के शक्ति पुंज से मां का दिव्य ज्योति स्वरूप आत्मा बना भेजा गया है जो ब्रम्हांड में ऐसी कोई शक्ति शाली सहनशील प्रेरणा देने वाली अनमोल मां नहीं बनीं है।
मां हम बच्चों को मजबूत शक्ति शाली ,अडिग रहने वाली विश्वास दिलाने वाली ,हिम्मत देने वाली,चाहे कितनी दूर रहकर भी दुआओं के साथ उनकी रक्षा उनकी सफलता दिलाने के लिए ईश्वर से प्रार्थना करती रहती है ताकि बच्चे हर पल हर घड़ी हर साल हर क्षेत्र में खुश रहें।हरदम बच्चों का चेहरा देखकर खुद खुश हो जाए सच में मां संपूर्ण संसार की अद्भुत शक्ति शाली सहनशील प्रेरणा देने वाली अनमोल रत्न खजाना है।उनके कदमों के तले जन्नत है।
शशिकला व्यास शिल्पी✍️
भोपाल मध्यप्रदेश