ये बहाव भी जरूरी है,ये ठहराव भी जरूरी है,जरूरी नहीं ये धूप ह
ये बहाव भी जरूरी है,ये ठहराव भी जरूरी है,जरूरी नहीं ये धूप हो,कुछ छाव भी जरूरी है।।
जरूरी नहीं,मरहम मिले,जब ज्ञात हो पीड़ा मन की,सिखा दे “जिंदगी” जीना,ऐसा घाव भी जरूरी है।।
फैसले तो बहुत लेने है जिंदगी में कई सारे लेकिन,यार मेरे घर में,इन बड़ों का,सुझाव भी जरूरी है।।
लोग इस कदर निकले के,अब है वो आंगन सुनाकौन समझाए नादानों को, ये गांव भी जरूरी है।।
तुम्हारे कहने से क्या होता, तिवारी तुम शायर हो,फिर उसका ये कहना अब “लौट आओ” भी जरूरी है।।
कोयल तो मीठी सुर में दिखाती है सुख सपनों का,जीवन में दुख के कौंवे का कांव कांव भी जरूरी है।।
कौन देखता है इतना फिर पैसा शोहरत गाड़ी,इसके साथ साथ अच्छा स्वभाव भी जरूरी है।।