ये बता पाना मुमकिन नहीं होगा
मुझे कितनी मुहब्बत है तुमसे
ये बता पाना मुमकिन नहीं होगा
क्यों है
कैसे है
कब से है
ये सब भी बता पाना
मुमकिन नहीं होगा।
हाँ,मगर ये बता सकता हूँ कि इश्क़ है
बेहद है
और तुमसे है;
हाँ, सिर्फ़ तुमसे ही है
और इतनी शदीद है कि
जब तुम अपना हाथ रखती हो मेरे सीने पर
मुझे वो मेरा ही हाथ लगता है।
इस क़दर है कि
मैं जब आईना देखता हूँ
तुम्हारा ही चेहरा दिखता है।
मुझे तुमसे कितनी मुहब्बत है
ये बता पाना मुमकिन नहीं होगा
जॉनी अहमद “क़ैस”