“ये न पूछो कैसे जाकर मैंने कोई गीत लिखा है”
ये न पूछो कैसे जाकर मैंने कोई गीत लिखा है
दिल के तारो को छेड़ा है और दुखों का तोड़ लिखा है
जीवन में जो कुछ होता है गुणा घटाना जोड़ लिखा है
हँसी ठिठोली और आँसू है फिर दर्दों का सार लिखा है
नाम तुम्हारा हर पन्ने पर जाने कितनी बार लिखा है
हमने अपनी हार लिखी है और तुम्हारी जीत लिखा है
ये ना पूछो कैसे जाकर मैंने कोई गीत लिखा है
तुलसी की पाती पर मैंने दिल के सब मनुहार लिखा है
प्यार हमारा अमर रहे ये क्या क्या है स्वीकार लिखा है
इन अधरों से उन अधरों का जो भी है संवाद लिखा है
अपने दिल के इन भावों का एक सरल अनुवाद लिखा है
ये रिश्ता है अपना कितना पावन और पुनीत लिखा है
ये न पूछो कैसे जाकर मैंने कोई गीत लिखा है
©Ananya Rai Parashar