ये नई पीढ़ियां!
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आज की- ये नई-नई पीढ़ियां!
करती है अपनी ही मन मानी।
पढ़ाई से चिड़ लगती- इनको!
बनाती रहती है झूठी कहानी।।१।।
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सच! इन से कोसों दूर रहता!
झूठ! इनके मुंह पर ही रहता।
अच्छी बातें- इने बुरी लगती!
घुसा इनके नाक पर ही रहता।।२।।
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ये नई पीढ़ियां- माॅं की सुनती है!
पिता को नजरंदाज कर देती है।
माॅं की ममता और लाड़-प्यार!
इनके होंसले बुलन्द कर देती है।।३।।
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ये नई पीढ़ियां समझती नहीं है!
ये अपनी गलती मानती नहीं है।
कुसंगत का नशा हावी है इनपे!
बड़ो की बात भी सूनती नहीं है।।४।।
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इने ज्यादा डांट-फटकार की तो,
देती धोस- घर से भाग जाने की।
इनकी मांगे पूरी नहीं की गई तो,
ये! देती है धमकी- मर जाने की।।५।।
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ये- अपना भविष्य बिगाड़ रहीं हैं!
सुधरने का नहीं कर रहीं है जतन।
लक्ष्य को भूल गई- ये नई पीढ़ियां!
ये! स्वयं का ही- कर रहीं है पतन।।६।।
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कौन समझाएं- इन पीढ़ियों को!
इनकी आवश्यकता है वतन को।
देश का भविष्य है ये नई पीढ़ियां!
कोई तो रोको- इन के पतन को।।७।।
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रचयिता:*प्रभुदयाल रानीवाल* ====
====*उज्जैन{मध्यप्रदेश}*=======
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