ये दिल है सरफ़िरा गर कभी घूम गया तो घूम गया
ये दिल है सरफ़िरा गर कभी घूम गया तो घूम गया
याद रख में भी तेरी सूरत भूल गया तो भूल गया
रोज़ मनाने का काम छूटा उल्फ़त का भरम टूटा
अच्छा ही हुआ वो सितमगर रूठ गया तो रूठ गया
फिर फूटेंगी शाखें फिर आएँगे पत्ते और फूल
आँधियों ये न समझना शज़र टूट गया तो टूट गया
अच्छे कामों को बा-क़ायदा बनाए रखना दोस्त
होता है ऐसा भी अक्सर छूट गया तो छूट गया
खड़ी हैं क़तार में बहारें गुल नये खिलाओ
क़िताबों में रखा गुलाब सूख गया तो सूख गया
बहुत शिद्दत से चाही थी नज़दीकियाँ उसकी लेकिन
तमाम कोशिशों के बावज़ूद दूर गया तो दूर गया
कश्तियां ले ही जाती हैं हर मुसाफ़िर को साहिल पर
क्या हुआ ‘सरु’ जैसा कोई डूब गया तो डूब गया