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11 Dec 2016 · 1 min read

ये दिल है सरफ़िरा गर कभी घूम गया तो घूम गया

ये दिल है सरफ़िरा गर कभी घूम गया तो घूम गया
याद रख में भी तेरी सूरत भूल गया तो भूल गया

रोज़ मनाने का काम छूटा उल्फ़त का भरम टूटा
अच्छा ही हुआ वो सितमगर रूठ गया तो रूठ गया

फिर फूटेंगी शाखें फिर आएँगे पत्ते और फूल
आँधियों ये न समझना शज़र टूट गया तो टूट गया

अच्छे कामों को बा-क़ायदा बनाए रखना दोस्त
होता है ऐसा भी अक्सर छूट गया तो छूट गया

खड़ी हैं क़तार में बहारें गुल नये खिलाओ
क़िताबों में रखा गुलाब सूख गया तो सूख गया

बहुत शिद्दत से चाही थी नज़दीकियाँ उसकी लेकिन
तमाम कोशिशों के बावज़ूद दूर गया तो दूर गया

कश्तियां ले ही जाती हैं हर मुसाफ़िर को साहिल पर
क्या हुआ ‘सरु’ जैसा कोई डूब गया तो डूब गया

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