ये दिल ही तो है
ये दिल ही तो है जो कभी ज़ब्त करता है तो कभी बेताब़ होता है ।
कभी माय़ूस ग़मगीन रहता है तो कभी खुशी से चहकता है ।
कभी लड़ता है हाल़ातों से तो कभी समझौता करने पर मजबूर होता है।
कभी जज्ब़ातों का इज़हार करता है तो कभी रुस़वाई के डर से जज्ब़ करता है ।
कभी ज़माने से बग़ावत करने पर आम़ादा होता है तो कभी हार मान जाता है ।
कभी श़िद्दत से वफ़ा निभाता है तो कभी बेवफ़ाई पर टूट जाता है ।