ये दिल मांगे मोर
लम्बी काली स्याह रातें,
गुज़र जाती हैं आंखों में।
वो पल – पल खतरा झेलते हैं,
लम्हा – लम्हा हमारा सुरक्षित करते हैं।
कतरा – कतरा ख़ून का दे,
शहीद अमर हो जाते हैं।
बस इतना तुम कर जाना,
इक पल की खातिर रुक जाना।
देना सलामी तिरंगे को,
शेरशाह जिसमें लिपट कर आते।
रूहें खिल जायेंगी उन शहीदों की,
लगा गये मौत को गले जो हंसते – हंसते।
और कह गये जाते – जाते,
ये दिल मांगे मोर।