ये दिल फरेबी गंदा है।
ये दिल फरेबी गंदा है।
झूठ का हुआ धंधा है।।1।।
तन्हा शजर रह गया है।
उड़कर गया परिन्दा है।।2।।
यह नजरो का धोखा है।
या कोई हुआ अचंभा है।।3।।
ये आलिमों ने कराया है।
शहर में हुआ जो दंगा है।।4।।
सबकी ही खैर मांगता है।
वह खुदा का नेक बंदा है।।5।।
रूहतो पहले ही मैली थी।
अब तन भी हुआ नंगा है।।6।।
आंखें हो कर के भी देखो।
इंसा हो गया अब अंधा है।।7।।
वो सर रखने को ढूढता है।
सहारे को एक ना कंधा है।।8।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ