ये दिल अज़ब- गज़ब
इस अजब मुस्कुराहट पे तो ये दिल वारा है
कौन जाने अब फिर भी ये दिल कुं -वारा है
नाज़ – नख़रे भी तुम्हारे कितने अजब हैं
शायद ये दिल अज़ब- गज़ब तुम पे वारा है ।।
?मधुप बैरागी
इस अजब मुस्कुराहट पे तो ये दिल वारा है
कौन जाने अब फिर भी ये दिल कुं -वारा है
नाज़ – नख़रे भी तुम्हारे कितने अजब हैं
शायद ये दिल अज़ब- गज़ब तुम पे वारा है ।।
?मधुप बैरागी