ये तेरा प्यार ?
ये तेरा प्यार ?
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मन में छाए
अनोखा प्यार लिए
आ गए तुम।
कभी खुशियां
औ गम बरसाए
बादल होके।
फसल सुखी
लहलहाती हुई
बस तुमसे।
सहसा चुप
स्तब्ध रहा देखता
तुम में लिप्त।
चपला दिखी
बिन जले जलायी
आग ऐसी भी।
छलनी होते
अरमानों के पर्ण
छाया के रूप।
झकोरे नए ।
उड़ाये अफसाने
चली हवा यूँ।
दूरियाँ बनी
अरमाँ हैं जर्जर
आये क्यूँ तुम?
शमाँ में तुम
ऐसे क्यूँ समा गए
धोखा दे गए।
बरसात हो
महबूबा, कोरोना
या कुछ और।
डूबती नैया
ना आये कोई पास
ये तेरा प्यार ?
◆अशोक शर्मा◆