ये तूने क्या कर डाला
आज प्रस्तुत हैं पर्यावरण पर दो मुक्तक
वृक्ष काट कर इस धरती को,
हमने बंजर कर डाला
भूजल का अतिशय दोहन कर,
रिक्त किया जल का प्याला
सूर्य ताप अब सह ना पाए,
मरुथल सी बनती जाती
पूछ रही मानव से धरती,
ये तूने क्या कर डाला
अपने ही जीवन को तूने
कैसे संकट में डाला
जंगल काटे, नदियां बाँधी,
घोर प्रदूषण कर डाला
ऩा सुधरा तो मिट जाएगा
पृथ्वी का संरक्षण कर
तेरे हाथ में तेरा जीवन
खुद बन अपना रखवाला
श्रीकृष्ण शुक्ल, मुरादाबाद
मोबाइल 9456641400