ये जो तुम कुछ कहते नहीं कमाल करते हो
ये जो तुम कुछ कहते नहीं कमाल करते हो
अपने चाहने वालों का बुरा हाल करते हो
सिसकियों की ज़बाँ कोई मुश्किलों की नहीं
तुम इसमे भी न समझने का सवाल करते हो
भूल जाते हो या फिर भूलने की अदाकारी
जो भी है ये जी का बड़ा जंजाल करते हो
कौन उठे बज़्म से तुम्हारी सब बैठे मदहोश
होश वालों को तुम बहुत बेहाल करते हो
यूँ है कि तुम गुम हो शख्सियत में अपनी
हर बात पे जो आंखें अपनी लाल करते हो
अजय मिश्र