ये जीवन
तशरीफ़ को अपनी तकलीफ न दो मेरे आशियाने में आने के लिए,
मैंने तो जिंदगी को छोड़ रखा है आप जैसों के आजमाने के लिए,
अब तो देखनी है सबकी ही हद मुझे फलक तक जाकर,
कौन कितना बड़ा दांव लगाता है खुद को जीताने के लिए,
एक एक कदम रखते हैं हम यूँ देख भाल कर,
पता नहीं किसने काटे बिछाये हों हमे गिराने के लिए,
ये जीवन एक रेस का मैदान है जनाब,
हर कोई भाग रहा है दूसरों को हराने के लिए,
बच के चलना सीख लिया है मैंने नजरों के बार से,
खबर ही नहीं है कौन बैठा है निगाहों के तीर चलाने के लिए,RASHMI SHUKLA