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18 Nov 2018 · 1 min read

ये जीवन है।

रेल बन गया जीवन मेरा इसमें धक्कम पेल
ऐसी दो पटरी पर दौड़े जिनका न हो मेल

गुब्बारे सा फूला है मन हवा भरे सपनों की
फोड़ न दे कोई खुशी खुशी में भीड़ लगी अपनों की
नहीं सुनेगा कोई किसी की जैसे तैसे झेल
रेल बन गया जीवन ……….

उम्मीदों का हुआ अपहरण दोष लगाएं किसका
मांग रहा है वही फिरौती हाथ में हाथ है जिसका
कुदरत के हैं खेल निराले तू भी प्यारे खेल
रेल बन गया जीवन …………..

सोने में तांबे का टांका उनका मेरा साथ
बिकने की। नौबत जो आई हम रह गए अनाथ
नहीं कटेगा जीवन भाई लगा लगा के तेल
रेल बन गया जीवन ……………

नरेन्द्र ‘मगन’ कासगंज
9411999468

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 240 Views
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