ये जिंदगी
ना रुकने दे ना थमने दे चलने दे ये जिंदगी
कभी हँसाता तो कभी रुलाता है ये जिंदगी
राहों में फूल ही फूल बिछे मिले ऐसा होगा
काँटो को हटाकर जो चलाता है ये जिंदगी
मुट्ठी में भरकर रखना चाहे जो कोई भी
तब रेत की तरह फिसल जाता है ये जिंदगी
हर परिस्थिति में ढ़ल जाए बुद्धि से ले काम
वही अपना स्वर्ग जैसा बनाता है ये जिंदगी
कल की चिंता छोड़ जो आज में जीता है
उसे सफलता की सीढ़ी चढ़ाता है ये जिंदगी
गम में भी जो खुशियां ढूढ़ ले मौज से जिये
जिंदगी जीने का आसान रास्ता है ये जिंदगी
स्वरचित /
प्रेमयाद कुमार नवीन
जिला – महासमुन्द (छःग)