*ये जाने और आने में (गीतिका)*
ये जाने और आने में (गीतिका)
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(1)
बहुत अच्छाइयाँ हैं, मन्दिरों में-तीर्थ जाने में
मगर रह जाइएगा मत, ये जाने और आने में
(2)
वो घर पर दीख जाएगा, मगर बस शर्त इतनी है
तड़प भीतर तुम्हारे हो, उसे घर पर बुलाने में
( 3 )
हम जिस हाल में भी हों, वो हमसे रोज मिलता है
उसे मतलब हमारे कब नहाने-मत नहाने में
(4)
कभी वो पल में आते हैं, कभी वो रूठ जाते हैं
कई दिन हम लगे रहते हैं, उनको बस मनाने में
(5)
उन्हें बरसात में देखो, उन्हें फूलों में-पत्ती में
मेरे सरकार चिड़ियों के दिखेंगे चहचहाने में
(6)
बहुत नजदीक से मैने तुम्हें-तुमने मुझे देखा
जमाना अब भी उलझा है, रस्मों को निभाने में
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रचयिता :रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451