ये ज़िन्दगी
ये ज़िन्दगी क्यूं कर रही , तू इतना परेशान
हर कदम कदम पर , तू क्यूं ले रही इम्तिहान
हार जाऊंगी या लौट जाउंगी , येसा तो न होगा कभी
शतरंज का खेल तू खेलती रह,और तू चल अपनी चाल
तेरी सह को बदल दूंगी मात में,
क्योंकि सीखा नहीं हारना मैंने भी ।।
डिगा सकती नहीं तू, मुझे मेरे कर्तव्य से
विश्वास नहीं तो देख आजमाकर तू
तेरी हर चुनौती को, यूं हि मुस्कुराकर कर दूंगी पार
ये ज़िन्दगी क्यूं कर रही , तू इतना परेशान
हर कदम – क़दम पर , तू क्यूं ले रही इम्तिहान।।
मंज़िल अभी मिली नहीं , पर तय कर चुके रास्ता
सपनों को पूरा करने का , दे चुके मां को वास्ता
तेरी चंद कठिनाईयों से ,
छोड़ सकते नहीं दामन सच्चाई का
फिर चाहें क्यूं न करती रह, तू हमको रुसवा ।।
✍️ रश्मि गुप्ता @ Ray’s Gupta