ये ज़माना अभी बेखबर ही रहे तो बेहतर है
उनके एहसास छलककर हम तक पहुँचना चाहते हैं,
ज़ुबाँ पर न आएँ, आँखों ही में रहें तो बेहतर है।
बादलों से झांकते चाँद का नूर अलग ही होता है,
दिल के जज़्बातों पर हल्का सा पर्दा रहे तो बेहतर है।
उनकी नज़रों से हर बात हम तक पहुँच ही जाती है,
ये ज़माना अभी बेखबर ही रहे तो बेहतर है।
उनके आने से गर हमारी धड़कनें रुक गयीं तो,
फ़िलहाल साँसों पर उनका असर ही रहे तो बेहतर है।
कहीं ज़्यादा सुरूर छाने से बहक न जाएं हम,
उनकी आँखों का बस हल्का सा नशा ही रहे तो बेहतर है।
बेशक मंज़िल कुछ दूरी पर धुंधली सी दिखने लगी,
कुछ समय ये राही दरबदर ही रहे तो बेहतर है।
————शैंकी भाटिया
अक्टूबर 25, 2016