हादसे
ये क्या हुआ , कैसे हुआ ,क्यूँ हुआ ,
कुछ ऐसे अचानक हादसे हो जाते हैं ,
जिनको हम कभी समझ नही पाते हैं ,
जितना समझने की कोशिश करें उलझ जाते हैं ,
कुछ ऐसा है जिस पर हमारा वश नहीं चलता ,
जो होना है वो होकर ही रहता है ,
नियति के हाथों की कठपुतली बनकर हम
रह जाते है ,
जीवन के रंगमंच पर नियति की उंगलियों पर हम नाचते फिरते हैं ,
हमारा प्रभाव , हैसियत , सत्ता एवं संपदा सब धरे के धरे रह जाते हैं ,
अपने माथे पर लिखी किस्मत की लकीरों को हम कभी पढ़ नहीं पाते हैं ,
सत्य निष्ठा ,कर्म निष्ठा ,सद्भावना एवं संस्कार हमारे कुछ काम नहीं आते हैं ,
बेबस लाचार वक्त की मार से हम
टूटकर रह जाते हैं ,
समय चक्र के चलते हम सब कुछ भुलाकर ,
त्रासदी भोगने के लिए फिर तैयार हो जाते हैं।