वसुधैव कुटुंबकम् की रीत
वसुधैव कुटुंबकम् की रीत,
हमने ही प्रथम चलाई थी,
सारी दुनियां को मानवता की
भाषा हमने सिखाई थी ।
पर दुनियां को सिर्फ सदा,
युद्ध करना ही आया है,
जिसमे जाने कितने निर्दोषों ने,
अपनी जान गवाई थी ।।
प्यारा हिंदुस्तान हमारा,
सबसे यही अब कहता है,
नफरत को सदा प्रेम मिटाता,
ये प्रेम की शिक्षा देता है ।।
फिर भी ताकत की धुन में,
अपनी ताकत आजमाते है ।
विश्व युद्ध मानवता की,
विषम त्रासदी को दर्शाते है ।।
हमने तो बुद्ध दिए दुनियां को,
जिसने बस प्रेम सिखाया है ।
भारतवर्ष ने सारी दुनियां को,
वसुधैव कुटुंबकम् बताया है ।।