ये कैसे रिश्ते है
ये कैसे रिश्ते है
अपने देश को छोड कर परदेश में रहने वालों की भी एक अपनी ही अलग दुनिया होती है जो अपने देश मे रहने वाले उनके दोस्त उनके रिश्तेदार भाई बहन मिलने वाले कभी नहीं जान सकते दूर देश मे रहने पर भी उनकी भावनायें अपने देस वालों से किस कदर जुड़ी रहती है वो कभी नहीं समझ सकते !जब परदेश मे एक अर्सा गुजारने के बाद जब जब वो अपने देश मे खुशी के साथ जाते है अपनों के लिए गिफ्ट तोहफे लेकर तब भी अपने लोगों को खुश करने मे वो नाकामयाब रहते है पता नहीं क्यु
बेचारे परदेसियों को अपनों से ही ये सुन ने को मिलता है
बाहर से आए है बन रहे है
और बस धीरे धीरे यही अपने दोस्त रिश्तेदार भाई बहन के रिश्तों मे मिठास कम होती जाती है और ये रिश्ते ईर्षा जलन और बदतमीजीयों के शिकार हो जाते है असल मे जो अपने देश से दूर रहते है और कितनी मेहनत से वो खुद को इस काबिल बनाते है उनके लिए बस जिंदगी का मकसद ही यही होता है के जल्द कोई मुकाम बना ले कुछ इतना कर ले के बाकी की जिंदगी अपने देस मे आराम से इज़्ज़त के साथ गुजारे…….मगर इस बीच क्या क्या घट जाता है ये बेचारे परदेसी जान ही नहीं पाते के धीरे-धीरे सारे लोग उन के इस मुकाम पर पहुचने पर खुद को छोटा महसूस कर के बहुत ही बुरी कुंठा के शिकार हो जाते है अपने ही अपनों को नीचा दिखाने के तरीके खोजने लगते है कितनी गलत सोचो के शिकार हो जाते है कुछ लोग और उसके बाद
हालत ये हो जाती है के जब अपने मुल्क वापस आते है तो अपने ही अपनों के दुश्मन नज़रं आते है
यही हमारे नए समाज के नए रिश्तों की कड़वी सच्चाई है बहुत तेज़ी से बदल गए है रिश्तों के रुप !!!!