ये कैसे आदमी है
ये कैसे आदमी है, जो लेते नहीं है खबर कभी।
जो मिलते नहीं जरूरत पर, करते नहीं फिक्र कभी।।
ये कैसे आदमी है ———————–।।
वक़्त अगर हो मतलब का, आते हैं दौड़े दौड़े वो।
फिर भी बताते नहीं है, सच्चाई लेकिन वो कभी।।
ये कैसे आदमी है ————————।।
सुनते नहीं वो किसी का दर्द, अपने दर्द के सिवा।
करते नहीं वो कुछ भी मदद, देते नहीं पनाह कभी।।
ये कैसे आदमी है ————————-।।
नकली चेहरा पहनकर, करवाते हैं वो तारीफ।
देते हैं नसीहत सभी को, सुनते नहीं किसी की कभी।।
ये कैसे आदमी है ————————।।
हमसे होकर भी वो बड़े, फर्ज कभी निभाते नहीं है।
किये शौक अपने ही पूरे, प्यार दिया नहीं है कभी।।
ये कैसे आदमी है ————————।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)