ये कैसी तडपन है, ये कैसी प्यास है
ये कैसी तडपन है,ये कैसी प्यास है,
जो मेरे पास नही,उसी की आस है।
जी रही हूं मै बस,उसी की आस में,
कभी तो बुझेगी प्यास,यही आस है।।
तुम ही तो मेरी आंखों के उजियारे हो,
तुम हो तो मेरी आंखों के दो तारे हो।
कभी न कभी तो होंगे तुम्हारे दर्शन,
तुम ही तो मेरे जीवन के रखवारे हो।।
ये कैसा प्यार है,ये कैसा इकरार है,
तुमसे मिलने को जो हर वक्त तैयार है,
आन मिलो सजना अब तो मेरे द्वार,
खड़ी हूं मै कब से,वरमाला अब तैयार है।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम