ये कैसा चश्मा पहन लिया हमने
ये कैसा चश्मा पहन लिया हमने
जो बड़ों को देखना भी छोड़ दिया हमने
कैसे देखते है हम बुजुर्गों को इससे
जो आदर का भाव छोड़ दिया हमने।।
ये कैसा चश्मा पहन लिया हमने
जिससे अपने सिवा सभी गलत नज़र आते है
लगता नहीं दूसरे भी जानते है कुछ
बस खुद ही सम्पूर्ण ज्ञानी नज़र आते है।।
ये कैसा चश्मा पहन लिया हमने
दूसरों में ही कमियां नज़र आती है
जिसमें हो बुराई किसी की वही
बातें अब हमें सच्ची नज़र आती है।।
ये कैसा चश्मा पहन लिया हमने
चापलूसी के हदें ही तोड़ दी हमने
देश का इतिहास ही बदल डाला
ऐसा भी क्या अवार्ड जीत लिया हमने।।
ये कैसा चश्मा पहन लिया हमने
जिस डाली पर बैठे थे उसी को काट दिया हमने
जो अपने थे उनको छोड़ दिया और जाने क्यों
आस्तीन के सांपों को पाल लिया हमने।।
ये कैसा चश्मा पहन लिया हमने
जो पैसे में ही प्यार नज़र आता है
सच्चे प्यार को देकर धोखा अब
पैसे वाला ही यार नज़र आता है।।