ये कविता कौन लिखता है।
एक बात पूछूं ये कविता कौन लिखता है
अरे यार ,जो इशक के हाथों बेदाम बिकता है
क्या कविता वही लिखता है
जो ना किसी को बता सकें
जो ना उन को ही जता सकें
फिर वही दरद धीरे धीरे कविता में रिसता है
ये कविता कौन लिखता है
जब तक ये दिल फट ना जाए
कुछ अनकहा सा घट ना जाए
जिंदगी का असली चेहरा कहां दिखता है
ये कविता कौन लिखता है
जो गमों से बेज़ार हो
जो उस के लिए मरने को भी तैयार हो
बस उसी का नाम ज़ुबां पे आता बार बार हो
जिस को उस के सिवा कुछ नहीं दिखता है
हां जी कविता वही लिखता है
जो इशक के हाथों बेदाम बिकता है
कविता वही लिखता है।