ये इंसानी फ़ितरत है जनाब !
ये इंसानी फ़ितरत है जनाब !
लोगो को कहानीयाँ कम,
किरदार ज्यादा पसंद आते है
ख़्वाब मे गढे गये किरदार को,
लोग खुद के अक्स के साथ जोड जाते है
सबक तो सिखते ही नहीं उन किस्सों से
पर उन ख़्वाब वाले किस्सों को ही वो
अपनी ज़िन्दगी का हिस्सा मान जाते है