ये आसमा में जितने तारे हैं
ये आसमा में जितने तारे हैं
सब दिखावट के सहारे हैं ।
घर से निकला है हर कोई
कितनों को मिले किनारे हैं ।।
कवि दीपक सरल
ये आसमा में जितने तारे हैं
सब दिखावट के सहारे हैं ।
घर से निकला है हर कोई
कितनों को मिले किनारे हैं ।।
कवि दीपक सरल